खामोशी की आवाज़, सतीश गुजराल
प्रख्यात चित्रकार सतीश गुजराल का यूँ जाना कला जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उनके बग़ैर कला का जो स्थान रिक्त हुआ है उसका भार पाना बड़ा मुश्किल है।वे बहुत सादगीपसंद व मिलनसार ऊर्जा से भरे व्यक्तित्व थे, मेरा उनसे मिलना हुआ जब 2004 में नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट ( NGMA) अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा था और स्वर्ण जयंती समारोह पर उनके चित्रों की विशाल चित्र प्रदर्शनी का आयोजन हुआ था। उनसे संक्षिप्त सी मुलाक़ात में ना जाने कितनी बातें हुई, उस समय आज की तरह कैमरे वाले फ़ोन नहीं होते थे कि उनके साथ सेल्फ़ी ली जा सकती।वो ज़माना और तरह का था।लेकिन फिर भी मैंने उनका आटोग्राफ लिया जो मैंने आज तक सम्भाल कर रखा है।ओर दूसरी मुलाक़ात शायद 2014 में हुई अब वे काफ़ी बूढ़े लग रहे थे लेकिन उनकी आँखों में वो ही चमक ओर दिल में वो ही गर्मजोशी थी । उनके साथ बहुत से लोगों की अलग अलग यादें होंगी, जो उनके दिल को ख़ुशनुमा ओर स्वर्णिम बनाए रखेंगी। निसंदेह ऐसी महान आत्मायें विरले ही हमारे बीच आती हैं, ओर हम ईश्वर से दुआ करते हैं कि उनको स्वर्ग में उच्च स्थान मिले। दिल थोड़ा ज़्यादा दुखी इसलिए भी है की पूरा विश्व कोरोना के संकट से जूझ रहा है ओर भारत में लाकडाउन के कारण उनके अंतिम दर्शन भी नहीं हो सके। ख़ैर वे लाइम लाइट से दूर थे तो उनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए उनके बारे में थोड़ी सी जानकारी साँझा कर रहा हूँ। आप अपनी संवेदनाएँ कॉमेंट में सबके साँझा कर सकते है।

प्रारारंभिक जीवन
उनका जन्म 25 दिसंबर 1925 को ब्रिटिश भारत के अविभाजित पंजाब के झेलम में हुआ था। आठ साल की उम्र में जब वह कश्मीर में एक पुराने पुल को पार कर रहे थे, तो वह फिसल कर गिर गये जिस के कारण इनकी टांगे टूट गई और सिर में काफी चोट आई ,परिणामस्वरूप बाद में सुनने की शक्ति बाधित हो गई , तब लोग इनको को लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे ।लेकिन काफ़ी लम्बे समय के बाद उसने सर्जरी के बाद 1998 में 62 साल बाद सुनने की ताक़त को दुबारा प्राप्त किया। 26 मार्च 2020 को 94 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।
आने के कारण इन्हें कम सुनाई पड़ने लगा। परिणाम स्वरूप लोग सतीश गुजराल को लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे। सतीश चाहकर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। ख़ाली समय बिताने के लिए चित्र बनाने लगे। इनकी भावना प्रधान चित्र देखते ही बनती थी। इनके म्यूरल एवं रेखाचित्र दोनों ही ख़ूबसूरत थे । गुजराल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
शिक्षा
उनकी सुनने की समस्या के कारण, कई स्कूलों ने गुजराल को प्रवेश देने से इनकार कर दिया। एक दिन उसने एक पेड़ की टहनी पर बैठे एक पक्षी को देखा और उसकी एक तस्वीर बनाई । यह चित्रकला में उनकी रुचि का एक प्रारंभिक संकेत था और बाद में 1939 में, वे लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स में कलाओं का अध्ययन करने के लिए दाखिल हो गए, व इसके तुरंत बाद 1944 में बॉम्बे चले गए और सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला ले लिया। जहां पर उनकी प्रगतिशील कलाकार समूह (PAG) के सदस्यों से मुलाकात हुई , जिसमें PAG के संस्थापक एफ एन सूजा, एस एच रजा और एम एफ हुसैन शामिल थे। हालांकि, गुजराल ने PAG के आधुनिकतावाद के ब्रांड को सिरे से खारिज कर दिया, जो यूरोपीय विचारों और तकनीकों से प्रेरित था, गुजराल ने इसके बजाय एक पारंपरिक भारतीय पहचान की खोज करी। 1947 में, एक गम्भीर बीमारी के कारण, उन्हें स् JJ School और बॉम्बे छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। भारत का विभाजन और अप्रवासियों की संबद्ध पीड़ा ने युवा सतीश को बहुत प्रभावित किया और उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों में उन्होंने इस पीड़ा को चित्रित भी किया।
1952 में, गुजराल को मेक्सिको सिटी के पलासियो डी बेलस आर्टेस में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली, जहाँ उन्हें प्रसिद्ध कलाकारों डिएगो रिवेरा और डेविड अल्फारो सिकीयरोस के शिष्य के रूप में काम करने का मोका मिला। जो उस समय के मयूरल आंदोलन के अग्रणी थे। उनसे प्रेरित, गुजराल ने इसी तरह बड़े भित्ति चित्रों का निर्माण किया , जिससे गुजराल को भारत और विदेशों में भित्तिचित्र चित्रित करने के अवसर के साथ धन व सम्मान भी मिला।
गुजराल एक वास्तुकार भी थे और नई दिल्ली में बेल्जियम दूतावास के उनके डिजाइन को अंतरराष्ट्रीय मंच द्वारा श्रेष्ठ आर्किटेक्ट के रूप में चुना गया था जो 20 वीं शताब्दी में निर्मित 1000 सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक थी ।

प्रमुख कलाकृतियाँ
उनके प्रमुख कामों में दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर की दीवार पर अल्फाबेट भित्तिचित्र शामिल हैं।
उन्होंने दिल्ली में बेल्जियम दूतावास को भी डिजाइन किया था।
उन्होंने गोवा विश्वविद्यालय को भी डिजाइन किया था।
उनके अनेक आर्टपीस देश विदेश की प्रमुख आर्ट गैलरीयों व प्रमुख संस्थानों में रखे हैं।

लोकप्रियता
दर्जनों वृत्तचित्रों को गुजराल के काम की रिकॉर्डिंग के लिए बनाया गया है । और उनके जीवन पर एक पूर्ण फीचर फिल्म भी बन चुकी है। वह 2007 की बीबीसी टेलीविजन फिल्म, पार्टीशन: द डे इंडिया बर्न का भी हिस्सा थे। 24 फरवरी 2012 को “ए ब्रश विथ लाइफ” नामक एक 24-मिनट की डॉक्यूमेंट्री जारी की गई जो उसी नाम से उनकी अपनी पुस्तक पर आधारित थी। उनके काम की चार पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनमें एक आत्मकथा भी शामिल है।
पुरस्कार

गुजराल को 1999 में भारतीय गणराज्य के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया। उन्हें चित्रकला और मूर्तिकला के लिए तीन बार ललित कला अकादमी से राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता भी चुना गया , 1974 में उन्हें मूर्तिकला (शीर्षक: निर्माण) के लिए , 1957 में उनकी पेंटिंग (शीर्षक: द लाम्ड ) के लिए व 1956 में उनकी पेंटिंग(शीर्षक: द लाम् डेस्पेयर ) के लिए ललित कला अकादमी, नई दिल्ली से नेशनल अवार्ड मिला।
1983 भारत सरकार द्वाराव 1974 पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित किया गया।
उन्हें NDTV Indian of the Year अवार्ड से सम्मानित किया गया। व 2010 एमिटी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड फॉर आर्ट, एमिटी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स ।
2004-05 को नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट (NGMA) के स्वर्ण जयंती समारोह में भी सम्मानित किया गया व 2004 ललित कला रत्न पुरस्कार, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली द्वारा प्रदान किया गया।
2000 विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन , 1989 में विशाखापत्तनम विश्वविद्यालय व 1996 देसीकोट्टमा विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी गई।
1989 दिल्ली नागरिक परिषद द्वारा भारत के 25 सबसे प्रमुख नागरिकों में से एक के रूप में सम्मानित व दा विंची फाउंडेशन, मेक्सिको द्वारा 1989 में लाइफटाइम अचीवमेंट,का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
प्रमुख प्रदर्शनियाँ

2016 ए ब्रश विद लाइफ, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (IGNCA), नई दिल्ली व 2015 द वर्ल्ड ऑफ सतीश गुजराल, आकाश आर्ट गैलरी, कोलकाता
2011 Eyes on Life, आकृति आर्ट गैलरी, कोलकाता व 2011 Ascending Energy: सतीश गुजराल, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली द्वारा प्रदर्शित।2009 आकृति आर्ट गैलरी, कोलकाता।
2010 ट्रायस्ट विद मॉडर्निटी एंड ट्रेडिशन, जहांगीर आर्ट गैलरी और Cymroza Art Gallery, मुंबई ।
2008 Reincarnated Forms: एक शानदार जीवन की झलकियां, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली।
2007 द थर्ड डाइमेंशन: मूर्तियां सतीश गुजराल, TAO आर्ट गैलरी, मुंबई द्वारा
2007 द एनर्जी ऑफ क्रिएशन: सतीश गुजराल की ड्रॉइंग्स एंड पेंटिंग्स Cymroza Art Gallery, मुंबई
2006 ए रेट्रोस्पेक्टिव सतीश गुजराल: 1948-2006, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (NGMA), नई दिल्ली
2004 सतीश गुजराल: Prismatic Colors, गैलरी आर्ट्स इंडिया, न्यूयॉर्क
2001 गुजराल की पेंटिंग, चित्र और मूर्तिकला, विजुअल आर्ट गैलरी, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली । 2001 सतीश गुजराल की पेंटिंग, चित्र और मूर्तियों की प्रदर्शनी जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई।
1998 सतीश गुजराल: पेंटिंग, चित्र और ग्रेनाइट, त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली
1998 ,1993 व 2005 सतीश गुजराल: पेंटिंग और मूर्तियों की प्रदर्शनी जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई
1995 सतीश गुजराल: पेंटिंग, चित्र और मूर्तियां, Art Today , नई दिल्ली
1990 सतीश गुजराल: आइकोनिक पेंटिंग्स एंड आर्किटेक्चर, बिरला एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर, कोलकाता
1990 सतीश गुजराल: बर्न्ट वुड्स एंड आर्किटेक्चर, जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई।
1990 गुजराल 90: प्रतीक, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली । 1986 Retrospective, रवीन्द्र भवन, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली
1986 कला विरासत, नई दिल्ली । 1986 भारत भवन प्रदर्शनी, भोपाल।
satish_gujral_Self_Photo1980 सतीश गुजराल: ब्लैक वुड्स, धूमिल गैलरी, नई दिल्ली। 1978 बर्न वुड्स, नई दिल्ली। । 1974 गैलरी चाणक्य, नई दिल्ली।
1971-72 सोलो शो, शिकागो, यूएसए; और मुंबई 1969-70 Metal Sculptures की प्रदर्शनी नई दिल्ली
1969-70 Murals, नई दिल्ली, अहमदाबाद, चेन्नई और कोलकाता
1968 पेपर कोलाज, न्यूयॉर्क, यूएसए; फिनलैंड; स्वीडन; मैड्रिड, स्पेन; सोवियत संघ के बीच; मेक्सिको; पेरू; अर्जेंटीना; और ब्राजील
1967 पेपर कोलाज, मुंबई व 1966 में पेपर कोलाज, नई दिल्ली । 1964 Foram Art Galley , न्यूयॉर्क
1963 श्रीधारनी गैलरी, त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली । 1961 अशोका गैलरी, कोलकाता

चयनित सोलो प्रदर्शनियां
1961 सोलो शो, काहिरा, मिस्र; मेक्सिको; रोम, इटली; फ्रैंकफर्ट, जर्मनी; पेरिस, फ्रांस; लंदन, यूके; मॉट्रियल कनाडा; हवाई, संयुक्त राज्य अमेरिका; और टोक्यो, जापान
मेक्सिको में 1953-60 मल्टीपल सोलो शो; न्यूयॉर्क, यूएसए; लंदन, यूके; मुंबई, नई दिल्ली और कोलकाता में चित्र और मूर्तियों की प्रदर्शनी।
1952 सोलो शो, दिल्ली शिल्पी चक्र, नई दिल्ली द्वारा धूमिमल आर्ट गैलरी, नई दिल्ली में आयोजित किया गया ।
चयनित समूह प्रदर्शनियां
2010 ,10 x 10, गैलरी थ्रेशोल्ड, नई दिल्ली । 2009 थिंक स्मॉल, आर्ट अलाइव गैलरी, नई दिल्ली ।
2009 Beyond the Form: बजाज कैपिटल आर्ट हाउस और विजुअल आर्ट गैलरी, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली और जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई
2008 Frame Figure Field: 20 वीं शताब्दी आधुनिक और समकालीन भारतीय कला प्रदर्शनी, दिल्ली आर्ट गैलरी, नई दिल्ली । 2008 बैसाख 08, पोल्का आर्ट गैलरी, नई दिल्ली
2008 X at the rate , मुम्बई के जहाँगीर आर्ट गैलरी में आर्ट म्यूज़िंग्स द्वारा प्रस्तुत किया गया । 2008 Winter Moderns, Aicon, न्यूयॉर्क
1960 ग्रुप शो जिसमें सतीश गुजराल, एम एफ हुसैन, मोहन सामंत, वी एस गायतोंडे, राम कुमार, के एस कुलकर्णी, कृष्ण खन्ना ने भाग लिया।
सहभागिता :Participations

2015 Abby Grey और भारतीय आधुनिकतावाद: NYU कला संग्रह, ग्रे आर्ट गैलरी, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से चयन
2014 Ode to the Monumental: उत्सव, दृश्यता, विचारधारा, Saffronart द्वारा ललित कला अकादमी, नई दिल्ली और जहाँगीर आर्ट गैलरी, मुंबई में प्रस्तुतिकरण।
2012 Synergy 2012: 12 वीं वर्षगांठ शो, ताओ आर्ट गैलरी, मुंबई
2011 Ethos V: इंडियन आर्ट थ्रू द लेंस ऑफ़ हिस्ट्री (1900 से 1980), इंडिगो ब्लू आर्ट, सिंगापुर
2011 मैनिफेस्टेशंस V व VI, दिल्ली आर्ट गैलरी, नई दिल्ली व 2011 Celebrations 2011 कुमार गैलरी, नई दिल्ली
2010 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए नई दिल्ली में गैलरी गणेश द्वारा प्रदर्शित, की कला उत्सव, ललित कला अकादमी,
2010 Evolve: 10 वीं वर्षगांठ शो, TAO आर्ट गैलरी, मुंबई। 2010 वार्षिक प्रदर्शनी, चावला आर्ट गैलरी, नई दिल्ली । Celebration 2010, वार्षिक प्रदर्शनी, कुमार आर्ट गैलरी, नई दिल्ली
2008-09 , Paz Mandala, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली
1991 समकालीन कला की राष्ट्रीय प्रदर्शनी, आधुनिक कला की राष्ट्रीय गैलरी (NGMA) व 1956 1957, 1973 राष्ट्रीय प्रदर्शनी, रवीन्द्र भवन, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली
निजी जीवन
गुजराल अपनी पत्नी किरण के साथ नई दिल्ली में रहते थे। उनका बेटा मोहित गुजराल, जो एक वास्तुकार हैं, जिसने पूर्व मॉडल फिरोज गुजराल से शादी की है। तथा 2 बेटियाँ, अल्पना,जो कि एक ज्वेलरी डिज़ाइनर, और दूसरी रासेल गुजराल अंसल, जो एक प्रसिद्ध इंटीरियर डिज़ाइनर और कासा पैराडॉक्स एंड कासा पॉप की मालिक हैं और उनकी शादी नवीन अंसल से हुई। उनके बड़े भाई इंदर कुमार गुजराल 1997 और 1998 के बीच भारत के प्रधानमंत्री थे।
उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा,
‘सतीश गुजराल जी बहुमुखी और बहुआयामी थे. वह अपनी रचनात्मकता के साथ-साथ दृढ़ निश्चय के लिए जाने जाते थे, जिनके साथ उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों पर काबू पाया. उनकी बौद्धिक प्यास उन्हें दूर तक ले गई, लेकिन वे अपनी जड़ों से जुड़े रहे. उनके निधन से दुखी हूं. ओम शांति.’
” गुजराल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें.”
© पवन पागल (पागलबाबा)
pawan.paagal@gmail.com
source: wikipedia saffronart.com satishgujral.com
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